Sunday, 21 April 2013

हुआ विधाता बाम, पुरुष जो बना बिधाता

धाता कामी कापुरुष, रौंदे बेबस नार । 
बरबस बस पर चढ़ हवस, करे जुल्म-संहार । 

करे जुल्म-संहार, नहीं मिल रही सुरक्षा । 
गली हाट घर द्वार, सुरक्षित कितनी कक्षा ।  
 
करो हिफाजत स्वयं,  कुअवसर असमय आता । 
हुआ विधाता बाम, पुरुष जो बना बिधाता ॥ 

3 comments:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल २३ /४/१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।

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  2. सुन्दर प्रस्तुति..!
    --
    शस्य श्यामला धरा बनाओ।
    भूमि में पौधे उपजाओ!
    अपनी प्यारी धरा बचाओ!
    --
    पृथ्वी दिवस की बधाई हो...!

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  3. सही और सटीक प्रस्तुति, धाता कामी कापुरुष, रौंदे बेबस नार ।
    बरबस बस पर चढ़ हवस, करे जुल्म-संहार ।

    करे जुल्म-संहार, नहीं मिल रही सुरक्षा ।
    गली हाट घर द्वार, सुरक्षित कितनी कक्षा ।

    करो हिफाजत स्वयं, कुअवसर असमय आता ।
    हुआ विधाता बाम, पुरुष जो बना बिधाता ॥

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