आभार आदरणीय अरुण निगम जी-
मुदित-मुदिर मुद्रा मटक, मुद्रा मुफ्त कमाय ।
जिला रही नश्वर बदन, जिला-जवाँर घुमाय ।
यमक अलंकार मुद्रा / जिला
जिला-जवाँर घुमाय, जवानी के जलवे हैं ।
रूपाजीवा हाय, हुवे दंगे बलवे हैं ।
मरे हजारों लोग, लांछना लेकिन अनुचित ।
रविकर मरता जाय, मगन मन झांके प्रमुदित । ।
मुदिर=कामुक
रूपाजीवा = वेश्या
बहुत सुन्दर अलंकरण !
ReplyDeleteबाई दी वे, होली से कब लौटे सर जी आप ?:)
Deleteबेहतरीन,आभार.ब्लॉग जगत को आपकी कमी खलती थी.
ReplyDeleteअति सुन्दर !!
ReplyDeleteआभार !!
बहुत खूब !
ReplyDeleteबहुत खूब...
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