सन्देश: 31 मार्च तक ब्लॉग जगत से दूर हूँ-रविकर
शुभ-होली
दोहे
शुभ-होली
दोहे
रंग रँगीला दे जमा, रँगरसिया रंगरूट |
रंग-महल रँगरेलियाँ, *फगुहारा ले लूट || *फगुआ गाने वाला पुरुष -
फ़गुआना फब फब्तियां, फन फ़नकार फनिंद |
रंग भंग भी ढंग से, नाचे गाये हिन्द ||
हुई लाल -पीली सखी, पी ली मीठी भांग |
अँगिया रँगिया रँग गया, रंगत में अंगांग ||
देख पनीले दृश्य को, छुपे शिशिर हेमंत ।
आँख गुलाबी दिख रही, पी ले तनि श्रीमंत ॥
तड़पत तनु तनि तरबतर, तरुनाई तति तर्क ।
लाल नैन बिन सैन के, अंग नोचते *कर्क ॥
*केकड़ा
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मदिरा सवैया
नंग-धडंग अनंग-रती *अकलांत अनंद मनावत हैं ।
रंग बसंत अनंत चढ़ा शर चाप चढ़ाय चलावत हैं ।
लाल हरा हुइ जाय धरा नभ नील सफ़ेद दिखावत हैं ।
अंग अनेकन अर्थ भरे लुकवावत हैं रँगवावत हैं ॥
*ग्लानि-रहित
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नीली पीली देखकर, हरे हो रहे मित्र
ReplyDeleteइलू इलू कर रहे, मन में महके इत्र
मन में महके इत्र,भांग है पी ली ज्यादा
लाल गुलाबी नैन,भाँपते खूब इरादा
पर फागुन के बाद,न होवे तबियत ढीली
हरे हो रहे मित्र, देखकर नीली पीली ||
भंग के रंग में मदमस्त सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteइंतजार में,होली की अग्रिम बधाइयाँ.
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ
ReplyDeleteखुबसूरत रचना ,रंगीन होली सबके दिल में खुशियाँ भर दें. होली की शुभकामनाएं
ReplyDeletelatest post भक्तों की अभिलाषा
latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
बहुत सुंदर कुण्डलियाँ महोदय
ReplyDeleteरंगोत्सव की शुभ कामनाये ....
साभार......
तड़पत तनु तनि तरबतर, तरुनाई तति तर्क ।
ReplyDeleteलाल नैन बिन सैन के, अंग नोचते कर्क ॥
हमेशा की तरह शानदार।
होली की हार्दिक शुभकामनाएं !