(ब्वायज-मेस की चर्चा पर आधारित )
लड़के भूले नैनसुख, प्रेम-धर्म तकरार।
सम-लैंगिकता खुश हुई, बोले जय सरकार ।
बोले जय सरकार, चले वो गली छोड़ के ।
अफ़साना नाकाम, मजे में मोड़ मोड़ के ।
जमानती नहिं जुल्म, व्यर्थ झंझट में पड़के ।
हवालात की बात, गए घबरा से लड़के ॥
जमानती अपराध, व्यर्थ झन्झट में पड़के ।
ReplyDeleteजीवन करें खराब, चाहते अब नहिं लड़के ॥
...कटु सच्चाई से अवगत कराया आपने..बधाई!
बहुत खूब!
ReplyDeleteमतिभंग हो गयी है आज तो!
Nice.
ReplyDeleteशुक्रिया.