Thursday 1 September 2011

दर्शन-प्राशन पर टिप्पणी

नयन से चाह भर, वाण मार मार कर
ह्रदय के आर पार, झूरे चला जात है |

नेह का बुलाय लेत, देह झकझोर देत
झंझट हो सेत-मेत, भाग भला जात है |

बेहद तकरार हो, खुदी खुद ही जाय खो
पग-पग पे कांटे बो, प्रेम गीत गात है |

मार-पीट करे खूब, प्रिय का धरत रूप
नयनों से करे चुप, ऐसे आजमात  है ||

10 comments:

  1. नयन से चाह भर, वाण मार मार कर
    ह्रदय के आर पार, झूरे चला जात है |

    @ सच रविकर जी, नयनों में चाह भर बंकिम दृष्टि से पिय का निहारना हृदय-विदारक लीला है.

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  2. नेह का बुलाय लेत, देह झकझोर देत
    झंझट हो सेत-मेत, भाग भला जात है |

    @ रविकर जी, शून्य हृदय-गुफा में जब चुपचाप नेह का आगमन होता है देह का वन-प्रांगण तमाम कंटीली झाड़ियों और खरपतवारों की परवाह किये बगैर आनंद के झोंकों से झूमता रहता है.

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  3. बेहद तकरार हो, खुदी खुद ही जाय खो
    पग-पग पे कांटे बो, प्रेम गीत गात है |

    @ प्रेमी पात्रों की परस्पर तकरार भी नये परिणामों का कारण बनती है... नये परिणामों के लिये खुद की 'खुदी' को भूलना पड़ता है. या खुद ही वे अपनी सुदबुद खो बैठते हैं. ... तल्लीनता में कदम-कदम पर आने वाली परेशानियाँ की परवाह नहीं रह जाती... प्रेम के तरानों को गाते हुए प्रेमी अपना बलिदान तक दे बैठते हैं.

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  4. परेशानियाँ = परेशानियों

    मार-पीट करे खूब, प्रिय का धरत रूप
    नयनों से करे चुप, ऐसे आजमात है |

    @ नयन तो प्रेमी जनों के सारथी हैं.... यदि प्रेमी आँखों से सूर भी हुआ तो भी वह मन की आँखों से प्रिय को निहारेगा और उसके पीछे-पीछे पतंग की नाईं होम हो जायेगा.... जिससे जीवन भर का वास्ता रखना होता है हम उसीसे अधिक तकरार (मार-पीट) करते हैं... लेकिन इस मार-पीट में प्रिय का हित छिपा होता है... माँ-पिता अपनी संतान को सुधारने को ताड़ित करती है.. पति अथवा पत्नी या प्रेमी अथवा प्रेयसी परस्पर ताड़ित करते हैं तो विश्वास को चोट लगने के कारण ही... वे दरअसल अपने परस्पर संबंध के विश्वास की जड़ें जमा रहे होते हैं. उनका लड़ना लड़ना नहीं एक अलग किस्म का लाड़ है.

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  5. sudhaar :

    माँ-पिता अपनी संतान को सुधारने को ताड़ित करते हैं

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  6. नयन से चाह भर, वाण मार मार कर
    ह्रदय के आर पार, झूरे चला जात है |कुंडलियों का जादू प्रेमी के सिर चढ़ा जात है ....
    बृहस्पतिवार, १ सितम्बर २०११
    ....फांसी पर जातिवादी ताकतें मुखर .... .......

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  7. गुप्ता जी आप के शब्द संयोजन गजब के होते है ! अति भाव पूर्ण

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  8. aapka likhne ka yah andaj mujhe behad bhata hai..geyata rachanaon ko stahyitava aur rochakta pradan karti hai..gudh baaton ko behad hi rochak andaj me bayan karne ke aapke in prayason ko naman ke sath

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