लेता देता हुआ तिहाड़ी, पर सरकार बचा ले कोई
पर एक टिप्पणी के सम्मान में--
G.N.SHAW said...
अर्थ के साथ दोहे तो सोने पर सुहागा जैसा !
दिग्गी को छोड़ दिए , जो " अमर " राग अलाप रहा ! बधाई गुप्ता जी !
(१)
आँखे - माखू दूसता, संघ - हाथ बकवाद ||
अर्जुन का यह औपमिक, है औरस औलाद |
है औरस औलाद, कभी बाबा के पीछे ,
अन्ना की हरबार, करे यह निंदा छूछे |
सौ मिलियन का मद्य, नशे में अब भी राखे,
बड़का लीकर किंग, लाल रखता है आँखे ||
(२)
आतंकी की प्रशंसा , झेले साधु-सुबूत
जहल्लक्षणा जाजरा, महा-कुतर्की पूत |
महा-कुतर्की पूत, झाबुआ रेप केस में,
दोषी हिन्दू-संघ, बका था कहीं द्वेष में |
भागा भागा फिरा, किया भारी नौटंकी,
लिया जमानत जाय, चाट कर यह आतंकी ||
(३)
क्रूर तमीचर सा बके, साधु-जनों पर खीज ||
तम्साकृत चमचा गुरु, भूला समझ तमीज |
भूला समझ तमीज, बटाला मोहन शर्मा,
कातिल नहीं कसाब , बताता है बे-धर्मा |
कहे करकरे साब, मारता हिन्दू-लीचर ,
कहे करकरे साब, मारता हिन्दू-लीचर ,
पागल करे प्रलाप, विलापे क्रूर-तमीचर ||
(४)
वो माया के फेर में, करे राम अपमान,
मिले राम-माया नहीं, व्यर्थ लड़ाए जान|
व्यर्थ लड़ाए जान, बुड़ाया अपनी गद्दी,
गले नहीं जब दाल, करे तरकीबें भद्दी |
बोला तब युवराज, अशुभ है इसका साया,
हूँ मुश्किल में माम, बड़ी टेढ़ी वो माया ||
मिले राम-माया नहीं, व्यर्थ लड़ाए जान|
व्यर्थ लड़ाए जान, बुड़ाया अपनी गद्दी,
गले नहीं जब दाल, करे तरकीबें भद्दी |
बोला तब युवराज, अशुभ है इसका साया,
हूँ मुश्किल में माम, बड़ी टेढ़ी वो माया ||
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteगले नहीं जब दाल, करे तरकीबें भद्दी
अन्तिम वाला ठीक लगा।
ReplyDeleteबड़ा विचित्र है यह राग।
ReplyDeleteसही खानदानी ,जीनी ,आनुवंशिक ,जीवन खंडीय इतिहास खंगाला है आपने वैश्या के बदनाम चमचे का .बधाई ! http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/09/blog-post_13.हटमल
ReplyDeleteअफवाह फैलाना नहीं है वकील का काम .
अफवाह फैलाना नहीं है वकील का काम .
ReplyDeleteराम जेठ मलानी के मवक्कल (मुवक्किल )श्री अमर सिंह न तो गूंगे हैं ओर न ही अपढ़ ,लिख सकतें हैं फिर राम -जेठमलानी एक सामान्य वक्तव्य क्यों दे रहें हैं ?
वकील का काम सामान्य वक्तव्य देना नहीं है ओर न ही अफवाह फैलाना .अपने मुवक्किल के मुंह से कहलवाएं जो भी कहना चाह रहें हैं या अगर वह गूंगा है तो उसका लिखा दिखाएँ ।
अमर सिंह जी बतलाएं 'सांसदों की खरीद फरोख्त के लिए उन्हें पैसा किसने दिया ',उनकी जान सारे राष्ट्र को प्यारी हो जायेगी .राम जेठ मालानी भी अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप सबसे ऊपरले पायेदान पर पहुँच जायेंगें जन प्रियता ओर राष्ट्र प्रियता के ।
अमर सिंह जी के सीरम क्रितेनाइन लेविल के खतरनाक स्तर तक बढ़ने की इत्त्ल्ला ओर इस बिना पर उन्हें ज़मानत देने की पेशकश यदि वह एक व्यक्ति के रूप में कर रहें हैं तो इसका स्वागत होना चाहिए लेकिन अगर वह ऐसा एक वकील के नाते कर रहें हैं तो अपने मुवक्किल से सच कहलवाएं -भाई !अमर सिंह जी आप तो लाभार्थि नहीं हैं ,लाभार्थि कोई ओर है आप कृपया बतलाएं आपको ये पैसा किसने दिया था .इस राष्ट्र की आप बड़ी सेवा करेंगें यह सच बोलके ,यह किस्मत ने आपको एक विधाई क्षण दिया है ,राष्ट्र सेवा का ,अपनी जान बचाने का .
मारक...धारदार...सार्थक...रचना...
ReplyDeleteपढ़कर मन मुग्ध होकर रह गया...
बहुत बहुत आभार..
आपके काव्य रूप को देखकर चकित हूं।
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