Wednesday, 28 September 2011

लीज छीज खा खनिज-

फूटी  आँखें  जीव  की,  तम  भी  नहीं  दिखाय |
तमसो  मा  ज्योति  गया, चकाचौंध अतिकाय | 
DEATH TRAPS: Women and children at work in an illegal coal mine at Banwar Ramgarh village in Jharkhand. Photo: Manob Chowdhury
चकाचौंध   अतिकाय,   भोगते   रेड्डी - कोड़ा |
लीज छीज  खा खनिज,  करोड़ों  जोड़ा - तोड़ा |
File photo of a mine in Bellary district of Karnataka. Photo: Special Arrangement.
पर रविकर पड़ जाय, तमन्चर अधिक उजाला |
आँखे   जाती   फूट,   बदन  पड़  जाता  काला ||
तमन्चर=निशाचर, राक्षस, उल्लू

10 comments:

  1. बहुत खूब गजब की अभिव्यक्ति !

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  2. मजे दार वह भी बिलकुल सत्य ! बधाई गुप्ताजी !

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  3. आपकी कुण्डलिया का जवाब नहीं रविकर जी!

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  4. बहुत ही सुन्दर सन्देश अत्यंत ही रोचक शैली में...उजाले में
    दिखाई देने लगे हैं इनके चेहरे ....बहुत बहुत बधाईयां !!

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  5. चकाचौंध अतिकाय, भोगते रेड्डी - कोड़ा |
    लीज छीज खा खनिज, करोड़ों जोड़ा - तोड़ा
    मारते रहो इनको व्यंग्य कोड़े .

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  6. गजब की अभिव्यक्ति.

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  7. प्रिय रविकर जी ...सुन्दर भाव प्यारी रचना गजब का रंग दिया मन को छू गयी ...काले मन वालों का और भी ....

    ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं .....जय माता दी आप सपरिवार को ढेर सारी शुभ कामनाएं नवरात्रि पर -माँ दुर्गा असीम सुख शांति प्रदान करें
    थोडा व्यस्तता वश कम मिल पा रहे है सबसे क्षमा करना
    भ्रमर ५

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