मुश्किल में मौजूदगी, मिस्टर गुट निरपेक्ष |
होती रहती अगलगी, ढल 'नेट' के सापेक्ष |
ढल 'नेट' के सापेक्ष, बड़ा नेट एक बना ले |
धर्म सेक्स हर वाद, मुताबिक खुद को ढाले |
टल जाएँ संघर्ष, अगर नेट रविकर पक्का |
करें अन्यथा ख़त्म, मार कर धक्का-मुक्का ||
आजकल हर जगह धक्का-मुक्की है,बच-बचाकर चलिए !
ReplyDeleteगाँठ-बांध लिया ||
Deletemister gut-nirpeksh ke baare mein satya vachan.
ReplyDeletejis vivaad ko aap ne ghee daal kar bhadkayaa haen us par kam sae kam apni ek post to lagaa hi daetae
ReplyDeletesamaj kae prati , hindu dharm kae prati apni naetik jimmedari to nibha hi daetae
mail bhej kar galti swikaartae haen , kshmaa mangtaae haen
blog par bhi maang hi laetae
बहुत सुन्दर रचना ..
ReplyDeleteगाँठ-बांध लिया .....
बहुत बढ़िया सुझाव दिया है आपने!
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