Saturday, 7 July 2012

धर्म सेक्स हर वाद, मुताबिक खुद को ढाले -


मुश्किल में मौजूदगी, मिस्टर गुट निरपेक्ष |
होती रहती अगलगी, ढल 'नेट' के सापेक्ष |

ढल 'नेट' के सापेक्ष, बड़ा नेट एक बना ले  |
धर्म सेक्स हर वाद, मुताबिक खुद को ढाले |

टल जाएँ संघर्ष, अगर नेट रविकर पक्का |
करें अन्यथा ख़त्म, मार कर धक्का-मुक्का  || 

6 comments:

  1. आजकल हर जगह धक्का-मुक्की है,बच-बचाकर चलिए !

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  2. mister gut-nirpeksh ke baare mein satya vachan.

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  3. jis vivaad ko aap ne ghee daal kar bhadkayaa haen us par kam sae kam apni ek post to lagaa hi daetae

    samaj kae prati , hindu dharm kae prati apni naetik jimmedari to nibha hi daetae

    mail bhej kar galti swikaartae haen , kshmaa mangtaae haen
    blog par bhi maang hi laetae

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  4. बहुत सुन्दर रचना ..
    गाँठ-बांध लिया .....

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  5. बहुत बढ़िया सुझाव दिया है आपने!

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