Thursday, 12 July 2012

करें चामचोरी रखे, 'रविकर' मन में खोट -

घाम चाम पर याम दो, हर दिन पड़े जरुर ।
मिले विटामिन डी सखे, काया को भरपूर ।।

अवमूल्यन मुद्रा विकट, मिले चाम के दाम ।
डालर सोने का हुआ, मंदी हो बदनाम ।।

जाए चाहे चामड़ी, दमड़ी होय न खर्च ।
गिरे अठन्नी बीच में, मीलों करता सर्च ।।

जहाँ  दबंगों ने दिया, चला चाम के दाम ।
जर-जमीन-जोरू दखल, त्राहिमाम हर याम ।।

निकृष्टतम अपराध है, बहुत जरुरी रोक ।
करें चामचोरी रखे, 'रविकर' मन में खोट ।।

रंगभेद है विश्व में, चाम-चमक आधार ।
 नस्लभेद से त्रस्त-जन, लिंग-भेद भरमार ।।


4 comments:

  1. चाम चाम की चमक में दुनिया रही बिलाय
    ब्लॉगर बिल्ली भोली दिखे नौ सौ चूहे खाय

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  2. वाह वाह कविवर रविकर !

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  3. बहुत प्रभावी रचना..

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