(1)
छत्तीसगढ़ से-
बल्ले बल्ले कर रहे, नालायक उद्दंड ।
छत्तीसगढ़ से-
बल्ले बल्ले कर रहे, नालायक उद्दंड ।
रमण-राज में भय ख़तम, पड़ी कलेजे ठण्ड ।
पड़ी कलेजे ठण्ड, नया कानून चलेगा ।
करे पुत्र जो जुल्म, दंड अब बाप भरेगा ।
नहीं पड़ी यह बात, किन्तु रविकर के पल्ले ।
सहे वो डिग्री थर्ड, पुत्र की बल्ले बल्ले ।।
(2)
कोयलांचल धनबाद से
कोयलांचल धनबाद से
बेइमानी समझे नहीं, दिल की चतुर दिमाग ।
सब कुछ बाई-पास हो, कोलफील्ड की आग ।
कोलफील्ड की आग, कोयला-कलुष जलाये ।
मिटते दूषित दाग, एक नर-कुल उपजाए ।
बने लेखनी श्रेष्ठ, रचे रचना मनभावन ।
तापे आग दिमाग, बरसता दिल में सावन ।।
कहे कवि रविकर फैज़ाबादी....
ReplyDeleteबाप से बदला लेने की ,
मिली अब और आज़ादी :-)))
शुभकामनायें!
रविकर जी,
ReplyDeleteएक समय था... नालायक पिता के किये का पुत्र दंड भोगता था. 'आदर्शवादी चरित्रवान पुत्र' अपने 'नालायक पिता' के समस्त पाप धो देता था.
लेकिन अब 'आदर्शवादी रहे पिता' को उसका दुष्कर्मी पुत्र बेवकूफ बताता है... पुत्र के दुष्कर्म की सजा उसके पिता को मिलनी ही चाहिए क्योंकि वह उसकी ही परवरिश का नतीजा है.
घोर कलियुग है भाई ||
ReplyDeleteमूर्खो की कमी नहीं ग़ालिब
ReplyDeleteएक ढूँढों हज़ार मिलते हैं !
सतीश जी हम भी हैं 1001!!
ReplyDeleteरविकर बस ये ही बचा था पिटवा दिया ना !
शुभकामनायें!
ReplyDeleteसारा दोष तो पिता की परवरिश को ही दिया जाता है।
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