लगा ले मीडिया अटकल, बढ़े टी आर पी चैनल ।
जरा आतंक फैलाओ, दिखाओ तो तनिक छल बल ।। फटे बम लोग मर जाएँ, भुनायें चीख सारे दल । धमाके की खबर तो थी, कहे दिल्ली बताया कल ॥ हुआ है खून सादा जब, नहीं कोई दिखे खटमल । घुटाले रोज हो जाते, मिले कोई नहीं जिंदल ।। कहीं दोषी बचें ना छल, अगर सत्ता करे बल-बल । नहीं आश्वस्त हो जाना, नहीं होनी कहीं हलचल ॥ जवानी धर्म से भटके, हुआ वह शर्तिया "भटकल" । मरे जब लोग मेले में, उड़ाओ रेल मत नक्सल ॥ |
कल गुरू को मूँदा था, आज चेलों ने रूँदा है-
छी बड़ा बेहूदा है । । मर रही पब्लिक तो क्या - आँख दोनों मूँदा है ॥ जा कफ़न ले आ पुरकस इक फिदाइन कूदा है । कल गुरू को मूँदा था आज चेलों ने रूँदा है ॥ पाक में करता अनशन- मुल्क भेजा फालूदा है ॥ |
जवानी धर्म से भटके, हुआ वह शर्तिया "भटकल" ।
ReplyDeleteमरे जब लोग मेले में, उड़ाओ रेल मत नक्सल ॥
वहा बहुत खूब
मेरी नई रचना
महकती खुशबू
प्रेमविरह
फटे बम लोग मर जाएँ, भुनायें चीख सारे दल ।
ReplyDeleteधमाके की खबर तो थी,कहे दिल्ली बताया कल॥
क्या खुब लिखा गुरुवार,बहुत ही सुन्दर.
बहुत खूब गुरुवर | आभर
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
खटमल तो हैं पर ये मसले कब जाएंगे, कोई जवाब नहीं
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteवाह क्या खूब ,जवानी धर्म से भटके, हुआ वह शर्तिया "भटकल" ।
ReplyDeleteमरे जब लोग मेले में, उड़ाओ रेल मत नक्सल ॥