मेवा खा के पाक का, वाणी-कृष्णा-लाल |
ठोके कील शकील नित, वक्ता करे हलाल | वक्ता करे हलाल, कमाई की कमाल की | मनमोहन ले पाल, ढाल यह शत्रु-चाल की | लेकिन पाकिस्तान, हिन्दु का करे कलेवा | खावो कम्बल ओढ़, मियाँ सेवा का मेवा || |
माया के वक्तव्य से, रही रियाया रोय ।
भाई का आनन्द भी, जाता तुरत विलोय ।
जाता तुरत विलोय, अरब-पति उसे बनाया ।
लेकिन ये क्या बात, नहीं उसपर अब साया ।
मैडम का इनकार, मुसीबत उसकी भारी ।
छापे को तैयार, कई धाकड़ अधिकारी ।।
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...सुन्दर !
ReplyDeleteकौंग्रेस के ये सिपैसलार बस अपनी ही असलियत बताते है जनता को की ये किस दरजे के लोग है ! ये भूल जाते है की इनके पीएम भी पकिस्तान से सुपर पीएम इटली से और दादा बांग्लादेश से सत्ता के लालच में यहाँ आये !
ReplyDeleteहमारी निकम्मी सरकार तो कुछ करने से रही।
ReplyDeleteबढ़िया ढंग से टिपियाया है आपने!
ReplyDeleteयह कहना गलत न होगा कि आपको पोस्टों से कच्चा माल तो मिल ही जाता है लिखने के लिए!
रविकर जी ,सटीक कुंडलिया.....
ReplyDeleteमेवा खा के पाक का, वाणी-कृष्णा-लाल |
ReplyDeleteठोके कील शकील नित, वक्ता करे हलाल |
वक्ता करे हलाल, कमाई की कमाल की |
मनमोहन ले पाल, ढाल यह शत्रु-चाल की |
लेकिन पाकिस्तान, हिन्दु का करे कलेवा |
खावो कम्बल ओढ़, मियाँ सेवा का मेवा ||
लाजवाब लताड़
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सुन्दर,"जैसे हो बीरो का बसंत ,वैसे ही है सुन्दर टिप तिपंत ,..."सरकारें तो प्राइवेट हैं,अपनी आलू अपने खेत हैं, हैं,........परिवार तंत्र का चक्रव्यूह , सरकारें प्रजातंत्र की
ReplyDelete........कहने के लायक ही नहीं है