पिस्सू मच्छर तेज हैं, देते खटमल भेज ।
जगह जगह कब्जा करें, खटिया कुर्सी मेज ।
खटिया कुर्सी मेज, कान पर जूँ ना रेंगे ।
देते कड़े बयान, किन्तु विस्फोट सहेंगे ।
चीलर रक्त सफ़ेद, लाल तो बहे सड़क पर।
करके धूम-धड़ाक, चूसते पिस्सू मच्छर।।
मसले सुलझाने चला, आतंकी घुसपैठ ।
खटमल स्लीपर सेल सम, रेकी रेका ऐंठ ।
रेकी रेका ऐंठ, मुहैया असल असलहा ।
विकट सीरियल ब्लास्ट, लाश पर लगे कहकहा ।
सत्ता है असहाय, बढ़ें नित बर्बर नस्लें ।
मसले होते हिंस्र, जाय ना खटमल मसले ।
बहुत खूब
ReplyDeleteमेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
क्या बात हुज़ूर | बढ़िया
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
ReplyDeleteबिलकुल सटीक व्यंग
new postक्षणिकाएँ
बेहतरीन ,सुन्दर सटीक व्यंग
ReplyDeleteजगह जगह कब्जा करें, खटिया कुर्सी मेज.
ReplyDeleteबहुत खूब..
सादर
नीरज'नीर'
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeletesarthak kataksh
ReplyDeleteshubhkamnayen