निवेदन
मात्राएँ बाद में गिनना -
दो पंक्तियाँ आप भी लिखो-
कल पूरा करंगे-
आज जल्दी में
लोग मरते तो हैं ।
जख्म भरते तो हैं ॥
बम फटे हैं बेशक -
एलर्ट करते तो हों ।
पब्लिक परेशां लगती
कष्ट हरते तो हैं ॥
देते गीदड़ भभकी
दुश्मन डरते तो हैं ।
दोषी पायेंगे सजा
हम अकड़ते तो हैं ।
बघनखे शिवा पहने -
गले मिलते तो हैं ॥
कंधे मजबूत हैं रविकर-
लाश धरते तो हैं ।
|
कल गुरू को मूँदा था, आज चेलों ने रूँदा है-
पिलपिलाया गूदा है ।
छी बड़ा बेहूदा है । ।
मर रही पब्लिक तो क्या -
आँख दोनों मूँदा है ॥
जा कफ़न ले आ पुरकस
इक फिदाइन कूदा है ।
कल गुरू को मूँदा था
आज चेलों ने रूँदा है ॥
पाक में करता अनशन-
मुल्क भेजा फालूदा है ॥
|
पुलिस हो भले ही चौकन्नी
ReplyDeleteफिर भी लोग मरते तो हैं
गृहमंत्री को हो भले ही खबर
फिर भी बम फटते तो हैं
sahi kaha doshi payenge saza par kab koi nahi janta .
ReplyDeleteसच में आज समाज और ये इंसान दो ऐसे राहों पर खड़ा है जहाँ पर हम कुछ नहीं कर सकते और कुछ रोक भी नहीं जा सकता
ReplyDeleteएक ऐसा इंसान जो दुसरे इंसानों का अपना शिकार बना रह है उसे खुद भी नहीं पता की वो किस की लड़ाई लड़ रहा है
आज इस दुनिया में इतने दुर्योधन पैदा हो गए है की हमारे पास एक भीमसेन भी नहीं है
मेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह