उन्होंने सचित्र जानकारी उपलब्ध कराई -
जन्संदेश टाइम्स में प्रकाशित
कुंडली-
चाहत पूरी हो रही, चलती दिल्ली मेल |
राहत बंटती जा रही, सब माया का खेल |
सब माया का खेल, ठेल देता जो अन्दर |
कर वो ढील नकेल, छोड़ता छुट्टा रविकर |
पट-नायक के छूछ, आत्मा होती आहत |
मानसून में पोट, नोट-वोटों की चाहत ||
आपकी रचनाएँ ही समर्थ हैं स्थान पाने के लिए...बधाई !
ReplyDeleteबहुत बधाई हो आपको..
ReplyDeleteबधाई हो...
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