Wednesday, 4 July 2012

आभार ; जनसन्देश 04-07-2012

पैसे उगते पेड़ पर , मनमोहनी ख़याल ।
सहमत दिखते  हैं कई, यूरोपी कंगाल ।

यूरोपी कंगाल, कम्पनी ईस्ट बनी है ।
प्रांत कई बदहाल, प्रणव पर तनातनी है ।

निरहू नवनिर्माण, पाय के पैकेज ऐसे ।
हिंदुत्व-वाद कबाड़, करे नित पैसे पैसे ।।
 

5 comments:

  1. सत्य वचन

    सादर

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  2. बहुत सुन्दर रचना!
    शेअर करने के लिए आभार!

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  3. दिख रहा है हमें भी
    बहुत सुंदर है
    मनमोहन का पेड़ !

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  4. बहुत सुन्दर कुंडली

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