दुर्लभतम अपराध, भूलते राजा-पाटिल
कातिल दुष्कर्मी फँसा, फाँसी देता कोर्ट ।
रहम याचिका लगा के, ताके नित रेड-फोर्ट ।
ताके नित रेड-फोर्ट, दीखता खुटका-खीजा ।
चीखी वो निर्दोष, कलेजा नहीं पसीजा ।
दुर्लभतम अपराध, भूलते राजा-पाटिल।
साफ़ ठगा इन्साफ, दूसरी ढूंढे कातिल ।।
चित्र अभी दिख नहीं रहा है,सही कर लें !
ReplyDeleteबधाई !
बधाई हो रविकर जी!
ReplyDeleteकुण्डलियाँ कहती रहीं सभी बात बे -बाक ,...कर लो भैया रविकर सीधी सीधी ताक .जन -सन्देश कर लें-"जन्संदेश" को .शुक्रिया .
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteNice post.
ReplyDeleteCongratulations...
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