Saturday 24 September 2011

लीलूँ कई करोड़, फंसू न लेकर दो सौ

दो सौ रुपये घूस के, गए नौकरी लील |
बड़ी कोर्ट मानी नहीं, कोई दया दलील |
Bribe under the table.
कोई दया  दलील, भ्रष्टता छोटी - मोटी |
कौआ हो या चील, सभी खोटी की खोटी |
Indian Currency Gallery
रविकर छोटी घूस, छुऊँ न मैया की सौं | 
लीलूँ  कई  करोड़, फंसू  न लेकर दो सौ ||

6 comments:

  1. बड़े बड़े तो बड़ा बचे हैं।

    ReplyDelete
  2. छोटा बच्चा मार खाता है, बड़ा तो सिर्फ़ सुन लेता है या ऐसे ही अनसुना कर देता है…

    ReplyDelete
  3. बड़ी घूस खाने वाले कहाँ फंसते हैं ... बढ़िया व्यंग

    ReplyDelete
  4. व्यवस्था पर तीखा व्यंग्य।

    ReplyDelete