साफ़ सूपड़ा कर रहा, रोज मीडिया बोल ।
अर्थ हारकर खोजता, शब्दकोश को खोल ।
शब्दकोश को खोल, जरा मतलब समझाओ ।
हुई कहाँ उत्पत्ति, जरा इतिहास बताओ ।
आकर्षक यह शब्द, कमाए शब्द रोकडा ।
भाव समझ कापुरुष, अन्यथा साफ़ सूपड़ा ॥
भाये ए सी की हवा, डेंगू मच्छर दोस्त ।
फल दल पादप काटते, काटे मछली ग़ोश्त । काटे मछली ग़ोश्त, बने टावर के जंगल । टूंगे जंकी टोस्ट, रोज जंगल में मंगल । खाना पीना मौज, मगन मनुवा भरमाये । काटे पादप रोज, हरेरी ज्यादा भाये ।। |
नारा की नाराजगी, जगी आज की भोर-
नारा की नाराजगी, जगी आज की भोर ।
यह नारा कमजोर था, नारा नारीखोर ।
नारा नारीखोर, लगा सड़कों पर नारा ।
नर नारी इक साथ, देश सारा हुंकारा।
कर के पश्चाताप, मुख्य आरोपी मारा ।
नेता नारेबाज, पाप से करो किनारा ॥
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वाह! क्या कहने..
ReplyDeleteचाह .. इन अनमोल छंदों के क्या कहने ...
ReplyDeleteबहुत खूब...
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