Monday, 11 March 2013

साफ़ सूपड़ा कर रहा, रोज मीडिया बोल-

साफ़ सूपड़ा कर रहा, रोज मीडिया बोल । 
अर्थ हारकर खोजता, शब्दकोश को खोल । 

शब्दकोश को खोल, जरा मतलब समझाओ । 
हुई कहाँ उत्पत्ति, जरा इतिहास बताओ । 

आकर्षक यह शब्द, कमाए शब्द रोकडा । 
भाव समझ कापुरुष, अन्यथा साफ़ सूपड़ा ॥ 

 
भाये ए सी की हवा, डेंगू मच्छर दोस्त ।
फल दल पादप काटते, काटे मछली ग़ोश्त ।

काटे मछली ग़ोश्त, बने टावर के जंगल ।
टूंगे जंकी टोस्ट, रोज जंगल में मंगल ।

खाना पीना मौज, मगन मनुवा भरमाये ।
काटे पादप रोज, हरेरी ज्यादा भाये ।।


नारा की नाराजगी, जगी आज की भोर-

 नारा की नाराजगी, जगी आज की भोर । 
यह नारा कमजोर था, नारा नारीखोर । 
नारा नारीखोर, लगा सड़कों पर नारा । 
नर नारी इक साथ, देश सारा हुंकारा। 
कर के पश्चाताप, मुख्य आरोपी मारा । 
  नेता नारेबाज, पाप से करो किनारा ॥ 

3 comments:

  1. वाह! क्या कहने..

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  2. चाह .. इन अनमोल छंदों के क्या कहने ...

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