बुरा न मानो होली है --
मूँग दले होरा भुने, उरद उरसिला कूट ।
पापड बेले अनवरत, खाय दूसरा लूट ।।
मालपुआ गुझिया मिली, मजेदार मधु स्वादु ।
स्वादु-धन्वा मन विकल, गुझरौटी कर जादु ।।
मन के लड्डू मन रहे, लाल-पेर हो जाय ।
रंग बदलती आशिकी, झूठ सफ़ेद बनाय ।।
भाँग खाय बौराय के, खेलें सन्त-महन्त ।
नशा उतरते ही खिला, मुँह पर फूल बसन्त ।।
होरा = चना का झाड़
उरसिला = चौड़ी छाती
गुझिया = एक प्रकार की मिठाई
गुझरौटी= नाभि के पास का भाग
स्वादु-धन्वा = कामदेव
जब मुँह पर खिला बसन्त = डर जाना
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ताकें गोरी छोरियां--
दोहे
शिशिर जाय सिहराय के, आये कन्त बसन्त ।
अंग-अंग घूमे विकल, सेवक स्वामी सन्त ।
वाह, होली चढ़ी हुयी है..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ!
bahut khoob...holi ki shubhkamnaye
ReplyDeleteहोली के सारे रंग मौजूद हैं यहां। बस चंद घंटे और,फिर हम भी इन सबके बीच ही होंगे।
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