सही को सराहो बिराओ नहीं ।
विरुद-गीत भी व्यर्थ गाओ नहीं ।
किया इक तुरंती अगर टिप्पणी-
अनर्गल गलत भाव लाओ नहीं ।
करूँ भेद लिंगी धरम जाति ना
खरी-खोटी यूँ तो सुनाओ नहीं ।
सुवन-टिप्पणी पर बड़े खुश दिखे
मगर मित्र को तो भगाओ नहीं ।
टिप्पणी का जरा ब्लॉग देखो इधर-
रूठ कर इस तरह दूर जाओ नहीं ।।
विशेष ब्लॉग है, काव्यमयी टिप्पणियों का।
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