Friday, 23 March 2012

टिप्पणी का जरा ब्लॉग देखो इधर-

सही को सराहो बिराओ नहीं ।
विरुद-गीत भी व्यर्थ गाओ नहीं ।

किया इक तुरंती अगर टिप्पणी-
अनर्गल गलत भाव लाओ नहीं । 

करूँ भेद लिंगी धरम जाति ना 
खरी-खोटी यूँ तो सुनाओ नहीं ।

सुवन-टिप्पणी पर बड़े खुश दिखे 
मगर मित्र को तो भगाओ नहीं ।

टिप्पणी का जरा ब्लॉग देखो इधर-
रूठ कर इस तरह दूर जाओ नहीं ।। 

दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक 

1 comment:

  1. विशेष ब्लॉग है, काव्यमयी टिप्पणियों का।

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