Sunday, 18 March 2012

हुवे समर्थक पाँच सौ, दिव्या दिव्य कमाल ।

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हुवे समर्थक छह शतक , दिव्या दिव्य कमाल । 
बढे चढ़े उत्साह नित, जियो जील के जाल ।

जियो जील के जाल, गजल का शायर बोलो ।
है रचना उत्कृष्ट, हास्य पर कुछ दिन डोलो  ।

होय ईर्ष्या मोय, बताओ औषधि डाक्टर ।
शतक समर्थक पूर,  करे कैसे यह रविकर ।।

4 comments:

  1. रविकर जी आपको औषधि मिले तो हमें भी बताइयेगा...
    :-)

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  2. गुप्ताजी जील को बधाई !

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  3. haa pta nhi kyo divya jee ne apne ko limit kr liya baharhal unko meri taraf se bhi bdhai.

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  4. hahaha.....bahut khoob...hamari bhi badhai

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