Wednesday, 21 March 2012
आई ना अलसाय, आईना क्यूँकर तोड़े-
दिल के जोड़े से कहाँ, कृपण करेज जुड़ाय ।
सौ फीसद हो मामला, जाकर तभी अघाय ।
जाकर तभी अघाय, सीखना जारी रखिये ।
दर्दो-गम आनन्द, मस्त तैयारी रखिये ।
आई ना अलसाय, आईना क्यूँकर तोड़े ।
वह आए अकुलाय, बनेंगे दिल के जोड़े ।।
4 comments:
Rajesh Kumari
21 March 2012 at 05:16
vaah bahut khoob.
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प्रवीण पाण्डेय
21 March 2012 at 09:38
सच, बस यही करना है।
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Dr.NISHA MAHARANA
21 March 2012 at 09:52
waah....
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G.N.SHAW
22 March 2012 at 02:11
गुप्ता जी - प्रेममयी सुन्दर प्रस्तुति !
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vaah bahut khoob.
ReplyDeleteसच, बस यही करना है।
ReplyDeletewaah....
ReplyDeleteगुप्ता जी - प्रेममयी सुन्दर प्रस्तुति !
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