Tuesday 27 March 2012

तिनके तनिक उबार, डूबते हुवे हौसले -

 नन्हे सुमन
बाबा को प्यारा लगे, मूल से ज्यादा सूद ।
एह्सासें फिर से वही, बालक रूप वजूद ।

 बालक रूप वजूद, मिली मन बाल सुन्दरी
संस्कार मजबूत, चढाते लाल चूनरी ।

मेला सर्कस देख,  चाट भी जमके चाबा ।
करें खटीमा मौज, साथ में दादी बाबा ।।

  रश्मि प्रभा...   वटवृक्ष पर   

नहीं  घोंसले में  लगा, मन को होता क्षोभ ।
तूफानों से डर रहा, या सजने का लोभ ।   

या सजने का लोभ, नीड़ की भीड़ गुमाए ।
जीवन का अस्तित्व, व्यर्थ ऐसे भी जाए ।

तिनके तनिक उबार,  डूबते  हुवे  हौसले  ।
तिनके तिनके साथ, खोज तू  नहीं घोंसले ।।

2 comments:

  1. नहीं घोंसले में लगा, मन को होता क्षोभ ।
    तूफानों से डर रहा, या सजने का लोभ ।

    बहुत सुन्दर!!!

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  2. dono hi post sarthak aeva man mohak haen bdhai sveekaren.

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