नन्हे सुमन
बाबा को प्यारा लगे, मूल से ज्यादा सूद ।
एह्सासें फिर से वही, बालक रूप वजूद ।
बालक रूप वजूद, मिली मन बाल सुन्दरी।
संस्कार मजबूत, चढाते लाल चूनरी ।
मेला सर्कस देख, चाट भी जमके चाबा ।
करें खटीमा मौज, साथ में दादी बाबा ।।
बाबा को प्यारा लगे, मूल से ज्यादा सूद ।
एह्सासें फिर से वही, बालक रूप वजूद ।
बालक रूप वजूद, मिली मन बाल सुन्दरी।
संस्कार मजबूत, चढाते लाल चूनरी ।
मेला सर्कस देख, चाट भी जमके चाबा ।
करें खटीमा मौज, साथ में दादी बाबा ।।
रश्मि प्रभा... वटवृक्ष पर
नहीं घोंसले में लगा, मन को होता क्षोभ ।
तूफानों से डर रहा, या सजने का लोभ ।
या सजने का लोभ, नीड़ की भीड़ गुमाए ।
नहीं घोंसले में लगा, मन को होता क्षोभ ।
तूफानों से डर रहा, या सजने का लोभ ।
या सजने का लोभ, नीड़ की भीड़ गुमाए ।
जीवन का अस्तित्व, व्यर्थ ऐसे भी जाए ।
तिनके तनिक उबार, डूबते हुवे हौसले ।
तिनके तिनके साथ, खोज तू नहीं घोंसले ।।
नहीं घोंसले में लगा, मन को होता क्षोभ ।
ReplyDeleteतूफानों से डर रहा, या सजने का लोभ ।
बहुत सुन्दर!!!
dono hi post sarthak aeva man mohak haen bdhai sveekaren.
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