दीप पर्व की
हार्दिक शुभकामनायें
डोरे डाले आज फिर, किन्तु जुआरी जात ।
हार्दिक शुभकामनायें
देह देहरी देहरे, दो, दो दिया जलाय-रविकर
डोरे डाले आज फिर, किन्तु जुआरी जात ।
गृह लक्ष्मी करती जतन, पर खाती नित मात ।
पर खाती नित मात, पूजती लक्षि-गणेशा ।
पांच मिनट की बोल, निकलता दुष्ट हमेशा ।
खेले सारी रात, लौटता बुद्धू भोरे ।
जेब तंग, तन ढील, आँख में रक्तिम डोरे ।।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteदीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
ReplyDeletebahut sateek..
ReplyDeleteबहुत बढिया । आपको दीपावली की शुभकामनायें
ReplyDeleteन माने चाहे किसी का मन
ReplyDeleteकहे कवि रविकर सत्यवचन ....
दीपावली की शुभकामनायें!