Thursday, 1 November 2012
शिशु पीता माँ-रक्त, अगर रो-धो कर फांसा -
दूध मांसाहार है, अंडा शाकाहार ।
भ्रष्ट-बुद्धि की बतकही, ममता का सहकार ।
ममता का सहकार,
रुदन शिशु का अपराधिक
।
माता हटकु पसीज, छद्म गौ-बछड़े माफिक ।
शिशु
पीता
माँ-रक्त, अगर रो-धो कर फांसा ।
धन्य कलयुगी सोच, त्याग दे दूध मांसा ।।
1 comment:
अनुभूति
1 November 2012 at 08:17
बेहतरीन कुण्डलियाँ ........
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बेहतरीन कुण्डलियाँ ........
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