Wednesday, 14 November 2012

दीदा दो दो लिए, किन्तु कंकड़ नहिं दीखा-


चीखा चावल चना ज्यों, चीखा जोर लगाय |
पत्नी घबराई नहीं, खड़ी खड़ी मुसकाय |

खड़ी खड़ी मुसकाय, कहे है ना डिश धांसू |
रहा दर्द से रोय, दिखें नहिं रविकर आंसू |

दीदा दो दो लिए, किन्तु कंकड़ नहिं दीखा  |
दे बत्तीसी तोड़, कहे यूँ क्योंकर चीखा || 

10 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
    (¯*•๑۩۞۩:♥♥ :|| गोवर्धन पूजा (अन्नकूट) की हार्दिक शुभकामनायें || ♥♥ :۩۞۩๑•*¯)
    ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ

    ReplyDelete
  2. वाह! बहुत सुंदर...

    ReplyDelete
  3. अलंकार युक्त बहुत सुंदर प्रस्तुति |

    ReplyDelete
  4. लालित्यम

    पत्नी का पल्ला

    http://lambikavitayen5.blogspot.in/
    व्यंगकार का खुब चले, कहते लोग दिमाग |
    प्लाट ढूँढ़ ना पा रहा, चला गया या भाग |
    चला गया या भाग, फैसला कर लो पहले |
    घरे बोलती बंद, पड़े नहले पे दहले |
    दहले मोर करेज, यहाँ तो मन की बक लूँ |
    कंकड़ लेता निगल, कहाँ फिर जाकर उगलूं ??

    ReplyDelete
  5. सुंदर प्रस्तुति | दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

    ReplyDelete
  6. अत्यंत सुन्दर प्रस्तुति ....दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं !!!

    ReplyDelete
  7. आनुप्रासिक छटा बिखेरती अप्रतिम रचना रविकर भाई की .आभार हमें चर्चा में लाने के लिए .

    ReplyDelete
  8. सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  9. दीदा दो दो लिए, किन्तु कंकड़ नहिं दीखा |
    दे बत्तीसी तोड़, कहे यूँ क्योंकर चीखा ||

    सरजी !क्या बात !क्या बात !क्या बात !

    ReplyDelete
  10. चर्चा मंच में बिठाने के लिए आभार ,नेहा ,प्यार ,

    रूप तेरा साकार ,लेता एक आकार ,

    कुंडली तेरी जय जय .

    ReplyDelete