Saturday, 24 November 2012

नारि धर्म अवहेलना, तुकबंदी बद्जात -



(मिली टिप्पणी का भावानुवाद) 

 मूली हो किस खेत की, क्या रविकर औकात ?
नारि धर्म अवहेलना, तुकबंदी  बद्जात 

तुकबंदी बद्जात, फटाफट छान जलेबी ।
  नाग-कुंडली मार, डरा नहिं बाबा बेबी ।

ब्लॉग-वर्ल्ड अभिजात, हकाले ऊल-जुलूली ।
उटपटांग कुल कथ्य, शिल्प बेहद मामूली ।। 
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 तीखी मिर्ची असम की, खाय रहा पंजाब ।
रविकर यूँ मत मुंह लगा, ज्वलनशील तेज़ाब ।
ज्वलनशील तेज़ाब, तनिक भी गर चख लेगा ।
सी सी सू सू आह, गुलगुला गुड़ अखरेगा ।
जले सवेरे तलक, देहरी रग रग चीखी । 
बवासीर हो जाय, फिरा मुँह मिर्ची तीखी ।।
मिर्ची क्यों होती है इतनी तीखी?
 

3 comments:

  1. हा हा हा ..आपका भी जवाब नहीं।

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  2. बहुत खूब रविकर जी.....
    :-)

    सादर
    अनु

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