(मिली टिप्पणी का भावानुवाद)
मूली हो किस खेत की, क्या रविकर औकात ?
नारि धर्म अवहेलना, तुकबंदी बद्जात ।
तुकबंदी बद्जात, फटाफट छान जलेबी ।
नाग-कुंडली मार, डरा नहिं बाबा बेबी ।
ब्लॉग-वर्ल्ड अभिजात, हकाले ऊल-जुलूली ।
उटपटांग कुल कथ्य, शिल्प बेहद मामूली ।।
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तीखी मिर्ची असम की, खाय रहा पंजाब ।
रविकर यूँ मत मुंह लगा, ज्वलनशील तेज़ाब ।
ज्वलनशील तेज़ाब, तनिक भी गर चख लेगा ।
सी सी सू सू आह, गुलगुला गुड़ अखरेगा ।
जले सवेरे तलक, देहरी रग रग चीखी ।
बवासीर हो जाय, फिरा मुँह मिर्ची तीखी ।।
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हा हा हा ..आपका भी जवाब नहीं।
ReplyDeleteबहुत खूब रविकर जी.....
ReplyDelete:-)
सादर
अनु
बहुत बढ़ियाँ...
ReplyDelete:-)