होते टेस्ट तमाम, नीति नियमों का बंधन। काम क्रोध मद लोभ, बनाते दुष्कर जीवन .....sahi bat....
बिल्कुल सच...
ek kadva sach
जीवन का पहला चरण, बे-फिकरा खुशहाल । बाकी फिकरे में फँसे, झेले पीर बवाल ।दिव्य होता है निर्दोष बालपन सही संभाल इस दिव्यता को चार चाँद लगा देती है और एब्यूज बालपन को बड़े होते होते अपराध उन्मुख बना देती है ऐसा होता है माहौल और पर -वरिश का मेल .
होते टेस्ट तमाम, नीति नियमों का बंधन।
ReplyDeleteकाम क्रोध मद लोभ, बनाते दुष्कर जीवन .....sahi bat....
बिल्कुल सच...
ReplyDeleteek kadva sach
ReplyDelete
ReplyDeleteजीवन का पहला चरण, बे-फिकरा खुशहाल ।
बाकी फिकरे में फँसे, झेले पीर बवाल ।
दिव्य होता है निर्दोष बालपन सही संभाल इस दिव्यता को चार चाँद लगा देती है और एब्यूज बालपन को बड़े होते होते अपराध उन्मुख बना देती है ऐसा होता है माहौल और पर -वरिश का मेल .