Wednesday 7 November 2012

दूसरा चरण : यहीं जिंदगी पाल, रही है बेढब लोचे -



जीवन का पहला चरण, बे-फिकरा खुशहाल ।
 बाकी फिकरे में फँसे, झेले पीर बवाल ।

झेले पीर बवाल, चरण दूजे में लोचे ।
  रहिये सदा सचेत, लगे नहिं कहीं खरोंचे । 

होते टेस्ट तमाम, यहाँ बहुतेरे बंधन।
 काम क्रोध मद लोभ, बनाते दुष्कर जीवन ।।


4 comments:

  1. होते टेस्ट तमाम, नीति नियमों का बंधन।
    काम क्रोध मद लोभ, बनाते दुष्कर जीवन .....sahi bat....

    ReplyDelete

  2. जीवन का पहला चरण, बे-फिकरा खुशहाल ।
    बाकी फिकरे में फँसे, झेले पीर बवाल ।

    दिव्य होता है निर्दोष बालपन सही संभाल इस दिव्यता को चार चाँद लगा देती है और एब्यूज बालपन को बड़े होते होते अपराध उन्मुख बना देती है ऐसा होता है माहौल और पर -वरिश का मेल .

    ReplyDelete