Thursday, 3 January 2013

होय पुरुष का जन्म, हाथ पर चला आरियाँ -



इक नारी को घेर लें, दानव दुष्ट विचार ।
 शक्ति पुरुष की जो बढ़ी, अंड-बंड व्यवहार ।
अंड-बंड व्यवहार, करें संकल्प नारियां ।
होय पुरुष का जन्म, हाथ पर चला आरियाँ ।
काट रखे इक हाथ, बने नहिं अत्याचारी ।
कर पाए ना घात,  पड़े भारी इक नारी ।।

 शादी कच्ची उम्र में, लाद रहे ड्रेस कोड ।
नए नए प्रतिबंध नित, नारी तन-मन गोद ।
नारी तन-मन गोद, गोद में जिनके खेले ।
कब्र रहे वे खोद, खड़े कर रहे झमेले ।
 सृष्टि खड़ी भयभीत, मजे लेते प्रतिवादी ।
जहाँ तहाँ ले घेर, बनाते जबरन शादी ।।

4 comments:

  1. इसलिए यह अंधेरगर्दी आज है,
    क्योंकि ये पुरुष प्रधान समाज है !

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  2. दोनों कुण्डलियाँ बहत बढ़िया रहीं!

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  3. मानव मन को झकझोरती कुण्डलियाँ !!

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