किश्ती डूबे किश्त में, काट *धारु-जल ख़्वाब ।
निकला तेल जनाब का, खाना करे खराब ।
*धारु-जल=तलवार
खाना करे खराब, ताब लेकिन है बाकी ।
वालमार्ट का दाब, पड़ेगी मार बला की ।
चढ़ा रहे हैं तेल, केतु-राहु ल-खत भिश्ती ।
पानी-पानी पुश्त, भंवर में डूबे किश्ती ।।
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प्रेम-पुजारी प्रार्थना, हाथ दुबारा थाम ।
चले छोड़कर दूर क्यूँ , कर रविकर बदनाम ।
कर रविकर बदनाम, काम का 'पहला' बन्दा ।
सदा काम ही काम, याद कर पल-आनन्दा ।
करूँ प्रशंसा नित्य, रखूं ना कभी उधारी ।
तेरे पास प्रमाण, बड़ा मैं प्रेम-पुजारी ।। |
बहुत खूब सर जी,*** खाना करे खराब, ताब लेकिन है बाकी ।
ReplyDeleteवालमार्ट का दाब, पड़ेगी मार बला की ।
चढ़ा रहे हैं तेल, केतु-राहु ल-खत भिश्ती ।
पानी-पानी पुश्त, भंवर में डूबे किश्ती ।। कर रविकर बदनाम, काम का 'पहला' बन्दा ।
सदा काम ही काम, याद कर पल-आनन्दा ।
करूँ प्रशंसा नित्य, रखूं ना कभी उधारी ।
तेरे पास प्रमाण, बड़ा मैं प्रेम-पुजारी ।।
कटाक्षपूर्ण प्रशंसनीय कुंडलियाँ...
ReplyDeleteश्लिष्ट रचनाओं में सब कुछ कह दिया आपने तो!
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