मैं करूं क्या ....
Dr (Miss) Sharad Singh
लक्ष्मण रेखा खींच के, जाय बहाना पाय ।
खून बहाना लूटना, दे मरजाद मिटाय ।
दे मरजाद मिटाय, सदी इक्कीस आ गई ।
किन्तु सोच उन्नीस, बढ़ी है नीच अधमई ।
पुरुषों के कुविचार, जले केवल इक रावण।
रेखा चलूं नकार, पुरुष भव खींचे लक्ष्मण -
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फर्क है भारत और इंडिया में.,रील लाइफ़ और रीअल लाइफ़ में
Virendra Kumar Sharma
बदले क्यूँ कन्या कुशल, खुद के क्रिया कलाप ?
मचे इण्डिया में ग़दर, मदर इण्डिया काँप ।
मदर इण्डिया काँप, हाँफती रहती दिनभर ।
शाम तसल्ली-बख्स , मस्तियाँ मारे मनभर ।
अघ-पुरुषों धिक्कार, इरादे कितने गँदले ।
बराबरी अधिकार, सोच वो ही क्यूँ बदले ??
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प्रभावशाली !!
ReplyDeleteजारी रहें !!
आर्यावर्त बधाई !!
बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबेहद सुन्दर अभ्व्यक्ति ,यथार्थ और कृत्रिम का बखूबी बयाँ करती रचना मदर इण्डिया काँप, हाँफती रहती दिनभर ।
ReplyDeleteशाम तसल्ली-बख्स , मस्तियाँ मारे मनभर ।
अघ-पुरुषों धिक्कार, इरादे कितने गँदले ।
बराबरी अधिकार, सोच वो ही क्यूँ बदले ??new posts:khichadi aur ji lo lijiye
लक्ष्मण रेखा सबके लिये जरुरी है पुरुषों और स्त्रियों के लिये बराबर रूप में. दोनों प्रस्तुतियाँ संवेदनशील हैं.
ReplyDeleteजबरदस्त चर्चा ... निराला अंदाज़ आपका ...
ReplyDeleteनमस्कार जी ..