Monday, 21 January 2013

बोल अब तो-बा-शिंदे-रविकर




बाशिंदे अतिशय सरल, धरम-करम से काम  ।
सरल हृदय अपना बना,  देखे उनमें राम ।

 देखे उनमें राम, नम्रता नहीं दीनता ।
दीन धर्म ईमान, किसी का नहीं छीनता ।

पाले हिन्दुस्थान,  युगों से जीव-परिंदे ।
यह सभ्यता महान, बोल अब तो-बा-शिंदे ।।


 तो-बा-शिंदे बोल तू , तालिबान अफगान ।
काबुल में विस्फोट कर, डाला फिर व्यवधान ।
डाला फिर व्यवधान, यही क्या यहाँ हो रहा ?
होता भी है अगर, वजीरी व्यर्थ ढो  रहा ।
फूट व्यर्थ बक्कार, इन्हें चुनवा दे जिन्दे ।
होवे खुश अफगान, पाक के तो बाशिंदे ।। 







4 comments:

  1. प्रभावशाली ,
    जारी रहें।

    शुभकामना !!!

    आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
    आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।

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  2. प्रभावशाली ,
    जारी रहें।

    शुभकामना !!!

    आर्यावर्त
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