Sunday, 6 January 2013

रहा सुलगता प्यार, धुँआ परदे दर परदे -




































परदे पर लगती हवा, हुआ कलेजा चाक ।
 लट्टू-कंचा खेलते, ताक-झाँक आवाक ।

ताक-झाँक आवाक, श्याम-पट चित्र उकेरा ।
चाक लिए रंगीन, लगाया करता फेरा ।

 हुई निगाहें चार, पीर कोई क्यों हर दे ।
रहा सुलगता प्यार, धुँआ परदे दर परदे ।।

2 comments:

  1. हुई निगाहें चार, पीर कोई क्यों हर दे ।
    रहा सुलगता प्यार, धुँआ परदे दर परदे ।।
    बहुत ही उम्दा !

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  2. हुई निगाहें चार, पीर कोई क्यों हर दे ।
    रहा सुलगता प्यार, धुँआ परदे दर परदे ।।

    wah kya bat hai

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