Friday, 4 January 2013

तार-तार संसार, खार खा रहा नपुंसक-


कामोत्तेजक सीनरी, द्रव्य, धूम्र सहकार।
भ्रष्ट-आचरण, स्वार्थ, दम, तार-तार संसार ।

तार-तार संसार, खार खा रहा नपुंसक ।
पाद रहा अंगार, हुआ जाता है हिंसक ।

नैतिक बंटाधार, थाम सकते तो थामो ।
डूबे देश-समाज, मरोगे सब नाकामो ।।



होय पुरुष का जन्म, हाथ पर चला आरियाँ -

इक नारी को घेर लें, दानव दुष्ट विचार ।
 शक्ति पुरुष की जो बढ़ी, अंड-बंड व्यवहार ।
अंड-बंड व्यवहार, करें संकल्प नारियां ।
होय पुरुष का जन्म, हाथ पर चला आरियाँ ।
काट रखे इक हाथ, बने नहिं अत्याचारी ।
कर पाए ना घात,  पड़े भारी इक नारी ।।


 शादी कच्ची उम्र में, लाद रहे ड्रेस कोड ।
नए नए प्रतिबंध नित, नारी तन-मन गोद ।
नारी तन-मन गोद, गोद में जिनके खेले ।
कब्र रहे वे खोद, खड़े कर रहे झमेले ।
 सृष्टि खड़ी भयभीत, मजे लेते प्रतिवादी ।
जहाँ तहाँ ले घेर, बनाते जबरन शादी ।। 
 

2 comments:

  1. नमन इस पोस्ट के लिए...
    सादर
    अनु

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  2. कई बार टिप्पणी लिख चुका हू किन्तु लिखी ही नही जा रही पब्लिस करने पर खाली हो जाती है
    आपका आज का लेख बहुत ही अच्छा है आज की इन कुण्डलियों को मैने अपने समाचार पत्र डिबाई दैनिक प्रभात पर सम्पादकीय में स्थान दिया है साथ ही आपका लिंक लगाया है आकर देखे http://debaicity.blogspot.in/ और आपसे अनुरोध है कि हमारे पत्र के लिए भी कुछ न कुछ लिख कर हमे अनुग्रहीत करें.आपका छोटा भाई
    ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय

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