सुन्दर व्यंग्य(1)बना गजट में छेद, एक ही फोटो छाया । चढ़ा गुलाबी रंग, देख जयपुर *सरमाया ।
रविकर तो शरमाय, पहिर साड़ी यह नौ गज । कोने रहे लुकाय, सदी के सारे दिग्गज ।। (2) कब से रही अगोर, हुआ बबलू अब लायक । हर्षित दिग्गी-द्रोण, सौंप के सारे ^शायक ।
नीति नियम कुल सीख, करेगा अब ना फाउल । सब विधि लायक दीख, आह! दुनिया को राहुल ।।
गज-गति लख *गज्जूह की, हाथी भरे सफ़ेद ।
बजट परे चिंतन करें, बना गजट में छेद ।
:)
हुल्लड़ होता है हटकु, *हालाहली हलोर ।
हुई सुमाता खुश बहुत, कब से रही अगोर ।
आपके व्यंग्य बाणों से राहत मिलती है ...
चलाते रहिए ...
साधुवाद !
सब विधि लायक दीख, आह! दुनिया को राहुल
ReplyDeleteकितना मुश्किल काम है ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी पोस्ट के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-01-2013) के चर्चा मंच-1130 (आप भी रस्मी टिप्पणी करते हैं...!) पर भी होगी!
सूचनार्थ... सादर!
सुन्दर व्यंग्य(1)बना गजट में छेद, एक ही फोटो छाया ।
ReplyDeleteचढ़ा गुलाबी रंग, देख जयपुर *सरमाया ।
रविकर तो शरमाय, पहिर साड़ी यह नौ गज ।
कोने रहे लुकाय, सदी के सारे दिग्गज ।।
(2) कब से रही अगोर, हुआ बबलू अब लायक ।
हर्षित दिग्गी-द्रोण, सौंप के सारे ^शायक ।
नीति नियम कुल सीख, करेगा अब ना फाउल ।
सब विधि लायक दीख, आह! दुनिया को राहुल ।।
BAHUT KHUB...
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