सोये आतंकी पड़े, छाये भाजप संघ |
आरोपी तैयार है, आओ सीमा लंघ ||
जैसे मन वैसे संहारो ||
पेट फटे नक्सल लटे, डटे बढे उन्माद |
गले कटे भारत बटे, लो आंसू पर दाद |
खाली कुर्सी चलो पधारो ||
बढती मँहगाई गई, गाई गई प्रशस्ति |
मौतें होतीं भूख से, बने स्वयंभू स्वस्ति |
बनो सहारा नारों ना रो ||
डीजल भी जलने लगा, लगी रेल में आग |
वाह वाह अपनी करे, काँव काँव कर काग |
सावधान हो जाव शिकारों ||
चालीसवां दामिनी का, निकले आंसू आज |
कैसा यह चिंतन सखे, आस्कर इन्हें नवाज |
चालू है नौटंकी यारो ||
बेहतरीन लाजवाब प्रस्तुति आदरणीय गुरुदेव हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteलाजवाब..सटीक और बहुत सुन्दरता से पेश किया है रविकर जी आपने. आभार.
ReplyDeleteयुवराज उत्तर प्रदेश तो बचा नहीं सके देखिये देश का भार कैसे लेते है.
सटीक कटाक्ष पूर्ण अभिव्यक्ति रविकार जी सादर आभार , शुभ कामनाएं !!!
ReplyDeleteजबरदस्त प्रहार !!
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