Thursday, 24 January 2013

है मुश्किल में जान, बयानी जान-बूझकर -

शिंदे फंदे में फंसे, नाखुश हाइ-कमान |
निकला-तीर कमान से, है मुश्किल में जान |

है मुश्किल में जान, बयानी जान-बूझकर |
कई मर्तबा झूठ, करे गुल बिजली रविकर |

करते रहते बीट, विदेशी ढीठ परिंदे |
लगता वो तो मीठ, बुरे लगते बाशिंदे ||

6 comments:

  1. बेहतरीन,बहुत खूब सर जी ,****"सिंदे का तो सन्डे कर दो .
    कर दो इसकी छुट्टी,बिगड़े इसके चल ढाल सब,,बन घुमे ये
    फिसड्डी ..." शिंदे फंदे में फंसे, नाखुश हाइ-कमान |
    निकला-तीर कमान से, है मुश्किल में जान |

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  2. बहुत प्रभावशाली अभिव्यक्ति!

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  3. कुछ नहीं है हाइकमान ड्रामेबाज है ! किया धरा तो उसी का है !

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  4. " शिंदे फंदे में फंसे, नाखुश हाइ-कमान |
    निकला-तीर कमान से, है मुश्किल में जान |....Bahut sateek

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  5. बहुत सटीक फंदा डाला है सिंदे के गले में --बधाई रविकर जी

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