सोच बदलने पर दिया, बड़ा आजकल जोर ।
कामुक अपराधी दनुज, खाएं किन्तु खखोर ।
खाएं किन्तु खखोर, कठिन है सोच बदलना ।
स्वयं कुअवसर टाल, संभलकर खुद से चलना ।
रहो सुरक्षित देवि, उन्हें तो जहर उगलना।
मारक करो प्रहार, कठिन है सोच बदलना।
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अपराधी गर आदतन, कुकृत्य करता जाय ।
सोच बदलने की भला, उससे को कह पाय ।
उससे को कह पाय, दंड ही एक रास्ता ।
करिए ठोस उपाय, सुता का तुझे वास्ता ।
फांसी कारावास, बचाए दुनिया आधी ।
फास्ट ट्रैक पर न्याय, बचे न अब अपराधी ।।
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...सही कहे हैं !
ReplyDeleteआपका कहना सत्य है !!
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