Wednesday 2 January 2013

मारक करो प्रहार, कठिन है सोच बदलना-



 सोच बदलने पर दिया, बड़ा आजकल जोर ।
कामुक अपराधी दनुज, खाएं किन्तु खखोर ।

खाएं किन्तु खखोर, कठिन है सोच बदलना ।
स्वयं कुअवसर टाल, संभलकर खुद से चलना ।

रहो सुरक्षित देवि, उन्हें तो जहर उगलना।
मारक करो प्रहार, कठिन है सोच बदलना। 

अपराधी गर आदतन,  कुकृत्य करता जाय ।
सोच बदलने की भला, उससे को कह पाय । 

उससे को कह पाय, दंड ही एक रास्ता ।
करिए ठोस उपाय, सुता का तुझे वास्ता ।

फांसी कारावास, बचाए दुनिया आधी ।
फास्ट ट्रैक पर न्याय, बचे न अब अपराधी ।।  

दुर्जन निश्चर पोच अघ, फेंकें काया नोच ।
विकृतियाँ जब जींस में, कैसे बदले सोच ?
कैसे बदले सोच, नहीं संकोच करे हैं ।
है क़ानूनी लोच, तनिक भी नहीं डरे हैं ।
हिम्मत जुटा जटायु, बजा दे घंटी रविकर ।
करके रावण दहन, मिटा दे दुर्जन निश्चर ।।

नए वर्ष में शपथ, मरे नहीं मित्र दामिनी-

 दाम, दामिनी दमन, दम, दंगा दपु दामाद ।
दरबारी दरवेश दुर, दुर्जन जिंदाबाद ।

दुर्जन जिंदाबाद, अनर्गल भाषण-बाजी ।
कर शब्दों से रेप, स्वयंभू बनते गाजी ।

बारह, बारह बजा, बीतती जाय यामिनी । 
नए वर्ष में शपथ, मरे नहीं मित्र दामिनी ।। 

मित्र-सेक्स विपरीत गर, रखो अपेक्षित ख्याल- रविकर

विनम्र श्रद्धांजलि 
ताड़ो नीयत दुष्ट की,  पहचानो पशु-व्याल |
मित्र-सेक्स विपरीत गर, रखो अपेक्षित ख्याल |


 
रखो अपेक्षित ख्याल, पिता पति पुत्र सरीखे।
 बनकर सच्चा मित्र, हिफाजत करना सीखे ||


एक घरी का स्वार्थ, जिन्दगी नहीं उजाड़ो |
जोखिम चलो बराय, मुसीबत झटपट ताड़ो ||

2 comments: