होंगे ख़त्म बिचौलिया, भरे माल में माल ।
खेतिहर मालामाल हो, ग्राहक भी खुशहाल ।
ग्राहक भी खुशहाल, मिले मामा परदेशी ।
ईस्ट-इंडिया काल, लूट करते क्या वेशी ?
रविकर बड़े दलाल, बटोरेंगे अब ठोंगे ।
दस करोड़ बदहाल, आप भी इनमें होंगे ।।
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ऍफ़ डी आई बन रही, इन सब की हत्यार ।
ग्राम नगर संसद सड़क, बिचौलिया भरमार ।
बिचौलिया भरमार, ख़त्म कर रहे दलाली ।
दस करोड़ तक लोग, भाड़ झोकेंगे खाली ।
भारत के नागरिक, नहीं क्या ये हैं भाई ।
जीवन का आधार, मिटाती ऍफ़ डी आई । |
सटीक और सार्थक
ReplyDeleteक्या बात है सर जी ,छा रहे हो .
ReplyDeleteकटा बात जी .. एफ दि आई की माया सभी को घेरे हुई है ...
ReplyDeleteबहतरीन , करारा व्यंग और एक तल्ख़ सच्चाती से रूबरू कराती प्रस्तुति*********^^^^^^^^***********ग्राहक भी खुशहाल, मिले मामा परदेशी ।
ReplyDeleteईस्ट-इंडिया काल, लूट करते क्या वेशी ?
रविकर बड़े दलाल, बटोरेंगे अब ठोंगे ।
दस करोड़ बदहाल, आप भी इनमें होंगे ।।*****************************
ऍफ़ डी आई बन रही, इन सब की हत्यार ।
ग्राम नगर संसद सड़क, बिचौलिया भरमार ।
रविकर जी,पढ़े जा रही हूँ.अभी तो निर्णय का इंतज़ार है.
ReplyDelete'भय बिन होय न प्रीत'
नीति की बात कौन सुनता है ,भय का अंकुश ही कारगर होता है.