Sunday, 30 April 2017

सिर्फ बेटियाँ ही नहीं, जाँय माइका छोड़-


सिर्फ बेटियाँ ही नहीं, जाँय माइका छोड़।
गलाकाट प्रतियोगिता, बेटों में भी होड़।
बेटों में भी होड़, पड़ा है खाली कमरा ।
रैकट बैट गिटार, अजब सन्नाटा पसरा
जींस शूज़ टी-शर्ट्स, किताबें कलम टोपियाँ।
कहे आजकल कौन, रुलाती सिर्फ बेटियाँ।।

2 comments:

  1. चिड़िया होती हैं उड़ जाती हैं फुर्र पंख आते आते

    सुन्दर।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (02-05-2017) को
    सरहद पर भारी पड़े, महबूबा का प्यार; चर्चामंच 2626
    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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