बुक से किंवा फेसबुक, बुक होती जब डेट ।
धोखे में रख के स्वजन, कर धोखे से भेंट ।
कर धोखे से भेंट, झोंक में बराबरी की ।
लेवे डेट लपेट, शरारत करे शरीकी ।
दिखे फेस पर ग्लानि, क्रोध में केस ठोकते ।
अच्छा होता स्वयं, स्वयं को जरा रोकते ।।
पैसे उगते पेड़ पर , मनमोहनी ख़याल ।
सहमत दिखते हैं कई, यूरोपी कंगाल ।
यूरोपी कंगाल, कम्पनी ईस्ट बनी है ।
प्रांत कई बदहाल, प्रणव पर तनातनी है ।
निरहू नवनिर्माण, पाय के पैकेज ऐसे ।
हिंदुत्व-वाद कबाड़, करे नित पैसे पैसे ।।
रोक जरूरी है एक सीमा के बाद !
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