(भैया)
ताकें आहत औरतें, होती व्यथित निराश ।
छुपा रहे मुंह मर्द सब, दर्द गर्द एहसास ।
दर्द गर्द एहसास, कुहांसे से घबराए ।
पिता पड़ा बीमार, खरहरा पूत थमाये ।
मातु-दुलारा पूत, भेज दी बिटिया नाके ।
बहन बहारे *बगर, बहारें भैया ताके ।।
*बड़े घर के सामने का स्थान
(इलाज)
मेंहदी वाले हाथ में, लम्बी झाड़ू थाम ।
हाथ बटा के बाप का, कन्या दे पैगाम ।
कन्या दे पैगाम, पड़े वे ज्वर में माँदे ।
करें सफाई कर्म, *मेट छुट्टियाँ कहाँ दे ।
वे दैनिक मजदूर, गृहस्थी सदा संभाले ।
हाथ डाक्टर-फीस, हाथ लें मेंहदी वाले ।
(दहेज़)
आठ वर्ष की बालिका, मने बालिका वर्ष ।
पैरों में चप्पल चपल, झाड़ू लगे सहर्ष ।
झाड़ू लगे सहर्ष, भ्रूण जिन्दा बच पाया ।
यही नारि उत्कर्ष, मरत बापू समझाया ।
कर ले जमा दहेज़, जमा कर गर्द फर्श की ।
तेज बदलता दौर, जिन्दगी आठ वर्ष की ।।
(दहेज़)
आठ वर्ष की बालिका, मने बालिका वर्ष ।
पैरों में चप्पल चपल, झाड़ू लगे सहर्ष ।
झाड़ू लगे सहर्ष, भ्रूण जिन्दा बच पाया ।
यही नारि उत्कर्ष, मरत बापू समझाया ।
कर ले जमा दहेज़, जमा कर गर्द फर्श की ।
तेज बदलता दौर, जिन्दगी आठ वर्ष की ।।
(छल)
भोली भाली भली भव, भाग्य भरोसा भूल ।
लम्बी झाड़ू हाथ में, बनता कर्म उसूल ।
बनता कर्म उसूल, तूल न देना भाई ।
ढूँढ समस्या मूल, जीतती क्यूँ अधमाई ।
खाना पीना मौज, मार दुनिया को गोली ।
मद में नर मशगूल, छले हर सूरत भोली ।।
( मजबूरी )
कैसा रेल पड़ाव है, कैसा कटु ठहराव ।
'कै' सा डकरे सामने, कूड़ा गर्द जमाव ।
कूड़ा गर्द जमाव, बिगड़ता स्वास्थ्य निरीक्षक ।
कल करवाऊं साफ़, बताया आय अधीक्षक ।
कालू धमकी पाय, जब्त हो जाए पैसा ।
बिटिया देता भेज, करे क्या रोगी ऐसा ??
(कानून)
इंस्पेक्टर-हलका कहाँ, हलका है हलकान ।
नहीं उतरता हलक से, संविधान अपमान ।
संविधान अपमान, तान कर लाओ बन्दा ।
है उल्लंघन घोर, डाल कानूनी फंदा ।
यह पढने की उम्र, बना ले भावी बेहतर ।
अपराधी पर केस, ठोंक देता इंस्पेक्टर ।।
भारत में बाल श्रम और कन्या दुर-दशा पर मार्मिक व्यंग्य .
ReplyDeleteबहुत दुखद स्थिति है यह..
ReplyDelete