Monday, 24 September 2012
हग्गो तो मूतो नहीं, रोक दिया पेशाब -
यह डंडा-धारी करे, सारे काम खराब |
हग्गो तो मूतो नहीं
, रोक दिया पेशाब |
रोक दिया पेशाब, हटा देता सब खम्भे |
कोयलांचल ले देख, देख ले बड़े-अचम्भे |
सब-संख्यक को हर्ष, पड़ा डंडे से पाला |
नौ वर्षों से पेड़, नोचते पैसों वाला ||
2 comments:
सुशील कुमार जोशी
24 September 2012 at 08:00
ये सब क्या हो रहा है?
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
25 September 2012 at 04:02
इस रचना की मैं प्रशंसा नहीं करूँगा!
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ये सब क्या हो रहा है?
ReplyDeleteइस रचना की मैं प्रशंसा नहीं करूँगा!
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