Monday, 8 September 2014

सतलुज रावी व्यास, सिंधु झेलम को झेलें-


घाटी की माटी बही, प्राणांतक सैलाब |
कुछ भी ना बाकी बचा, कश्मीरी बेताब |

कश्मीरी बेताब, जान पर फौजी खेलें |
सतलुज रावी व्यास, सिंधु झेलम को झेलें |

राहत और बचाव, रात बिन सोये काटी |
फौजी सच्चे दोस्त, समझ ना पाये घाटी ||

Indian army soldiers load onto a helicopter relief material for flood victims at an air force base in Srinagar. (AP Photo)

6 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर रचना

    कश्मीरी बेताब, जान पर फौजी खेलें |
    सतलुज रावी व्यास, सिंधु झेलम को झेलें |

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  2. बहुत ही सुन्दर रचना

    कश्मीरी बेताब, जान पर फौजी खेलें |
    सतलुज रावी व्यास, सिंधु झेलम को झेलें |

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  3. सामयिक विषय वस्तु पर सुन्दर कुंडलिया !
    रब का इशारा

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  4. उम्दा प्रस्तुति
    हो सकता अब उनकी आँखें खुल जाये :)

    रंगरूट

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  5. 6 पंक्तियों में सब कह दिया। :)

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