(1)
विनती सम मानव हँसी, प्रभु करते स्वीकार।
हँसा सके यदि अन्य को, करते बेड़ापार।
करते बेड़ापार, कहें प्रभु हँसो हँसाओ।
रहे बुढ़ापा दूर, निरोगी काया पाओ।
हँसी बढ़ाये उम्र, बढ़े स्वासों की गिनती।
रविकर निर्मल हास्य, प्रार्थना पूजा विनती।।
(2)
बानी सुनना देखना, खुश्बू स्वाद समेत।
पाँचो पांडव बच गये, सौ सौ कौरव खेत।
सौ सौ कौरव खेत, पाप दोषों की छाया।
भीष्म द्रोण नि:शेष, अन्न पापी का खाया ।
लसा लालसा कर्ण, मरा दानी वरदानी।
अन्तर्मन श्री कृष्ण, बोलती रविकर बानी।।
(3)
कंधे पर होकर खड़ा, आनन्दित है पूत।
बड़ा बाप से मैं हुआ, करता पेश सुबूत।
करता पेश सुबूत, बाप बच्चे से कहता।
और बनो मजबूत, पैर तो अभी बहकता।
तुझको सब कुछ सौंप, लगाऊंगा धंधे पर।
बड़ा होय तब पूत , चढ़ूगा जब कंधे पर।।
बहुत सुन्दर ।
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