Thursday 8 December 2011

चढ़े चढ़ावा दूर, कागदे होय कमाई ||

रेगा होते जा रहे, लाभुक और मजूर |
बैठ कमीशन खा रहे, बिना काम भरपूर |
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/9/91/Kettenbagger_CAT_325C_LN.jpeg
बिना काम भरपूर, मशीनें करैं खुदाई |
चढ़े चढ़ावा दूर, कहीं कागदे कमाई |

वैसे ग्राम-विकास, करे यूँ खूब नरेगा |
किन्तु श्रमिक अलसात, खेत-घर आधे रेगा ||


13 comments:

  1. क्या बात है.वाह.

    ReplyDelete
  2. गाँधी ग्राम-विकास, करे यूँ खूब नरेगा |
    लगा अंगूठा आस, मेहनती होंय रेगा ||
    Bahut Badhiya...

    ReplyDelete
  3. कागदे कमाई, कागदे विकास।

    ReplyDelete
  4. काम होय भरपूर, मशीनें करैं खुदाई |
    चढ़े चढ़ावा दूर, कागदे होय कमाई ...

    A bitter truth !

    .

    ReplyDelete
  5. सरकार ने एक अच्छी पहल की थी। अब हमारी रगों में ही गंदा खून दौड़ रहा है तो किसे दोष दें!

    ReplyDelete
  6. aapke dohon ki to koi misal nahi.

    ReplyDelete
  7. राधारमण जी, अच्छी पहल का विस्तृत अर्थ भी एक बार ध्यान दिया जाय, अनुरोध है। बहुत दिन बाद आए इधर…कहाँ गायब थे?

    ReplyDelete
  8. गुप्ता जी - इस नरेगा की पोल खुल गयी ! बधाई

    ReplyDelete
  9. बहुत खूब !
    काम होय भरपूर, मशीनें करैं खुदाई |
    चढ़े चढ़ावा दूर, कागदे होय कमाई |यही है नरेगा और मरेगा (मनरेगा)का सच .करारा व्यंग्य नंगा नाच भ्रष्टाचार का कहें आप इसे मनरेगा या नरेगा .

    ReplyDelete
  10. लगा अंगूठा आस, मेहनती होवें रेगा

    वाह, बहुत खूब

    ReplyDelete
  11. बहुत सुंदर प्रस्तुति,....मेरी नई रचना के लिए "काव्यान्जलि" मे click करे

    ReplyDelete