Tuesday, 5 July 2016

रचना कर भगवान की, खुश होता इन्सान -

रचना कर इन्सान की, दुखी दिखा भगवान |
रचना कर भगवान की, खुश होता इन्सान |

खुश होता इन्सान, शुरू हैं गोरख-धंधे |
अरबों करते दान, अक्ल के पैदल अंधे |

फिर हो भोग-विलास, किन्तु रविकर तू बचना |
लेकर उसका नाम, लूटते उसकी रचना ||

1 comment:

  1. वाह !
    लूटते उसकी रचना
    समझो तो इधर से भी
    और उधर से भी लूट :)

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