Tuesday, 5 July 2016
रचना कर भगवान की, खुश होता इन्सान -
रचना कर इन्सान की, दुखी दिखा भगवान |
रचना कर भगवान की, खुश होता इन्सान |
खुश होता इन्सान, शुरू हैं गोरख-धंधे |
अरबों करते दान, अक्ल के पैदल अंधे |
फिर हो भोग-विलास, किन्तु रविकर तू बचना |
लेकर उसका नाम, लूटते उसकी रचना ||
1 comment:
सुशील कुमार जोशी
5 July 2016 at 06:37
वाह !
लूटते उसकी रचना
समझो तो इधर से भी
और उधर से भी लूट :)
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
वाह !
ReplyDeleteलूटते उसकी रचना
समझो तो इधर से भी
और उधर से भी लूट :)