Tuesday, 18 February 2014

अब चुनाव आसन्न, व्यस्त फिर भारतवासी

(१)
खाँसी की खिल्ली उड़े, खीस काढ़ते आप |
खुन्नस में मफलर कसे, गया रास्ता नाप |

गया रास्ता नाप, नाव मझधार डुबाये |
सहा सर्द-संताप, गर्म लू जल्दी आये |

अब चुनाव आसन्न, व्यस्त फिर भारतवासी |
जन-गण दिखें प्रसन्न, हुई संक्रामक खाँसी॥ 

4 comments:

  1. बहुत खूब ! चुनाव तो लोकतंत्र का उत्सव है...जो गये हैं वे लौट कर भी आ सकते हैं..

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  2. फिलहाल हल्दी और अदरख से काम चलाना पड़ेगा | बहुत खूब

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  3. इस संक्रामक खांसी से मफलर बचाएगा या भगवान?

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